चित्रकूट धाम : तीर्थ यात्रा एवं पर्यटन का ऐतिहासिक विकास का अध्ययन
डाॅ0 जितेन्द्र सिंह
यात्रा एक विस्तृत शब्द है, जिसका अर्थ युद्ध, तीर्थ, ज्ञान, शिक्षा, मनोरंजन आदि कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने की प्रक्रिया है। यात्रा की प्रकृति व उद्देश्य कई हो सकते है। यात्रा की कई अवस्थायें है उनमें तीर्थ यात्रा एवं पर्यटन इत्यादि यात्रा की विशिष्ट अवस्थायें या प्रकार है। जहाँ यात्रा शब्द का प्रयोग विस्तृत अर्थ में किया जाता है, वहीं तीर्थ यात्रा व ‘पर्यटन’ कम विस्तृत शब्द है। चित्रकूट स्थिति सम्पूर्ण विन्ध्य प्रदेश में अनेक गुप्त कालीन मंदिरों के अवशेष प्राप्त हुए है। इन मंदिरों में शिव एवं पार्वती की मूर्तियां पाई गई है। कुछ मंदिरों में शिवलिंग प्राप्त हुए है। निश्चित ही इन मंदिरों में धार्मिक लोग आते जाते रहे होगें। इस तरही ईसा की पहली सदी में पूर्व से लेकर वर्तमान तक कई महत्वपूर्ण शिलालेख एवं अवशेष प्राप्त हुए है। जिसमें चित्रकूट धाम का तीर्थ यात्राओं का पता चलता है। चन्देल कालीन एवं कल्चुरी कालीन मंदिरांे से शिलालेख भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि सम्पूर्ण प्रदेश में तीर्थ यात्राओं का प्रचलन था तथा लोग दैव स्थान को पवित्र मानते थे। चित्रकूट एक ऐसा आरण्य तीर्थ है जो अपने प्राकृतिक महत्व के साथ ही आध्यात्मिक महिमा और नैशर्गिक सुषमा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ प्रतिदिन हजारों की संख्या में तीर्थ यात्री एवं पर्यटक इस पावन भूमि के दर्शन हेतु आते है।
डाॅ0 जितेन्द्र सिंह. चित्रकूट धाम : तीर्थ यात्रा एवं पर्यटन का ऐतिहासिक विकास का अध्ययन. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 4, Issue 4, 2018, Pages 89-92