सतना जिले में कोल जनजाति का सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि का समीक्षात्मक अध्ययन
रमेश प्रसाद कोल
जनजाति अंधविश्वास एवं रूढ़िवादिता से ग्रसित है, जिसके कारण जनजाति स्वयं को सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक विकास हेतु वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप नहीं बना पा रही हैं। झाड़-फूँक, जादू-टोना, भूंत-प्रेत पर विश्वास आदि का प्रयोग विभिन्न समस्याओं के निराकरण हेतु किया जाता है। देवी देवताओं की मान्यता का सहारा लिया जाता है। यह जनजाति अपनी आदिम परम्पराओं की अभ्यस्त होने के कारण नवीन परिवेश से सम्पर्क व सम्बंध स्थापित करने में हिचकिचाते हैं। जनजातियों में संस्कृति, मूल्य व आदर्शों की जड़ें इतनी गहरी हैं कि वे नवीन मूल्यों, आदर्शों एवं आधुनिक प्रतिमान को अपनाने के लिये मानसिक रूप से तैयार नहीं हैं। अपने पूर्वजों के प्रति निष्ठा एवं नवीनता के प्रति भय वैचारिक स्तर पर रूढ़िवादी बनाता है, जो उनकी अशिक्षा एवं अज्ञानता का परिणाम है जिसके कारण वे अपेक्षित विकास कर पाने में असमर्थ हैं।
रमेश प्रसाद कोल. सतना जिले में कोल जनजाति का सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि का समीक्षात्मक अध्ययन. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 4, Issue 5, 2018, Pages 22-26