चित्रकूट धाम : पर्यटन केन्द्रों की पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण का अध्ययन
डाॅ0 जितेन्द्र सिंह
चित्रकूट का यह भू-भाग बघेल शासकों के कलचुरि, चन्देल एवं बुन्देल शासकों के शासन के अधीन था। इस क्षेत्र में प्राचीन आदि मानव से लेकर वर्तमान बघेल शासकों द्वारा निर्मित ऐतिहासिक स्मारक एवं अवशेष पाये गये है। सर्वाधिक निर्माण कार्य बुन्देल राजाओं एवं बघेल राजाओं द्वारा किये गये है। इन शासकों द्वारा निर्मित मंदिर, गढ़ी, स्मारक आज भी अपने प्राचीन वैभव की गौरव गाथा का वयान करते खड़े है। यहाँ की प्राचीन इमारतों व किलों की पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित घोषित किया गया है। किसी भी क्षेत्र में पर्यटक जब प्रवेश करता है तो उसके मन में प्राचीन संस्कृति एवं कला को जानने की विशेष अभिलाषा होता हैं। इस हेतु हमें अपनी प्राचीन धरोहरों को पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षित एवं संरक्षित करना होगा।
चित्रकूट धाम में तीर्थ यात्रा के अतिरिक्त तीर्थों की स्थापना में भी अभूतपूर्व नियोजन शैली का उपयोग किया गया था, इसलिए तीर्थों की स्थापना ऐसे स्थानों पर की गई जहाँ प्राकृतिक विशिष्टता तो हो ही लेकिन कैसी भी भौगोलिक परिस्थिति में वे क्षतिग्रस्त न हो सके। निश्चय ही यह हमारे पूर्वजों की भूगोल की उत्तम जानकारी का परिचायक है।
डाॅ0 जितेन्द्र सिंह. चित्रकूट धाम : पर्यटन केन्द्रों की पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण का अध्ययन. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 4, Issue 6, 2018, Pages 150-152