प्रस्तुत शोध पत्र अरविन्द घोष का जीवन कृतित्व का समीक्षात्मक अध्ययन पर आधारित है।
महर्षि अरविन्द एक महान आदर्शवादी होते हुए भी यथार्थवादी थे। उनका दर्शन समन्वित रचनात्मक दर्शन एवं सर्वांग योग दर्शन है। उनकी मान्यता है कि जीवन और जगत् दोनों सत्य हैं। जीवन का लक्ष्य सर्वांग जीवन है जिसमें तन, मन और आत्मा सभी का विकास होना चाहिए। वास्तव में यह विकास तभी सम्भव है जब व्यक्ति-आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करे। सर्वांग योग दर्शन यह बताता है कि मानव को योग द्वारा अज्ञान, अन्धकार और मृत्यु से ज्ञान, प्रकाश और अमरत्व की ओर ले जाना चाहिए। इतना ही नहीं महर्षि की यह मान्यता है कि योग आत्म तत्व की अनुभूति कर ब्रह्य में लीन होने की बात नहीं करता है।
डाॅ0 कृष्ण बहादुर सिंह. अरविन्द घोष का जीवन कृतित्व का समीक्षात्मक अध्ययन. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 5, Issue 1, 2019, Pages 74-77