खजुराहो नगर : उद्भव और विकास की अवधारणा का ऐतिहासिक अध्ययन
डाॅ0 नृपेन्द्र सिंह परिहार
इस शोध पत्र में खजुराहो नगर: उद्भव और विकास की अवधारणा का ऐतिहासिक अध्ययन कर रहे हैं। इस अंचल के आदिम नगर उतने ही पुराने है जितनी यहाँ की सभ्यता। प्रागैतिहासिक कालीन इन आदिम नगरों की सभ्यता धीरे-धीरे ऐतिहासिक काल में प्रवेश करती है और केन घाटी के तलहटी क्षेत्र में बसने वाली यह सभ्यता स्थिर होती है। केन नदी के अंचल में स्थिर होने वाली इस समय के लघुनगरीय अवशेष बिखरे हुए रूप में देखने को मिलते है। केन, धसान व वेतवा नदियों की यह नगरीय सभ्यता ऐतिहासिक काल में विशेष रूप से विकसित होती है। बौद्ध युग में पांचवी से दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के काल में यह नगरीय सभ्यता खजुराहो अंचल में विशेष रूप से विकसित होती है। यह नगरीय सभ्यता यहाँ के नदी घाटियों में ही फैली है, क्योंकि नदी घाटियों में भोजन, पानी व यातायात की सुविधायें उपलब्ध होने के कारण इन नगरों के विकास को बल मिलता है।
डाॅ0 नृपेन्द्र सिंह परिहार. खजुराहो नगर : उद्भव और विकास की अवधारणा का ऐतिहासिक अध्ययन. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 5, Issue 2, 2019, Pages 57-59