उत्तराखण्ड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि उपयोग प्रारूप परिवर्तन का विश्लेषणात्मक अध्ययनः पौड़ी गढ़वाल जिले के सन्दर्भ में
अनुरोध प्रभाकर
किसी देश, राज्य या क्षेत्र का विकास उसके भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक विकास से परिलक्षित होता है। इन सभी तत्वों का विकास में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का बहुत अधिक महत्व है, और तीव्र आर्थिक विकास हेतु कृषि क्षेत्र व कृषकों का विकास किया जाना अपने आप में महत्त्व रखता है। विकास की प्रक्रिया की बात की जाये तो जिन क्षेत्रों में अनुकूल भौगोलिक एवं आर्थिक परिस्थितियां मौजूद है वहाॅं विवेकशील नियोजन के तहत उच्च उत्पादकता के अच्छे परिणाम प्राप्त होते है। जिससे आर्थिक विकास में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते है। उत्तराखण्ड राज्य जो कि एक पर्वतीय राज्य है में कृषि हेतु अनुकूल भौगौलिक एवं आर्थिक परिस्थितियों का अभाव है। अतः राज्य में विवेकशील नियोजन एक कठिन कार्य है। राज्य में विकास के प्रथम चरण में कृषि का विकास किया जाना अपने आप में महत्व रखता है। इस दिशा में राज्य के संदर्भ में कृषि विकास का सही ढ़ांचा बनाने हेतु कृषि भूमि उपयोग प्रारूप की स्थिति एवं भूमि उपयोग प्रारूप परिवर्तन की प्रवृत्ति तथा परिवर्तन के प्रभावों का विशलेषण किया जाना अनिवार्य हो जाता है। उत्तराखण्ड़ राज्य के ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों के संन्दर्भ मे कृषि की उपयोगिता तथा भूमिका का अध्ययन किये जाने हेतु शोध की समस्या के रूप में “उत्तराखण्ड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि उपयोग प्रारूप परिवर्तन का विश्लेषणात्मक अध्ययन: पौड़ी गढ़वाल जिले के सन्दर्भ में“ को चयनित किया गया है। शोध में उत्तराखण्ड की कृषि में इस विषय की भूमिका एवं आवश्यकता का अध्ययन करने का प्रयास किया गया। इसके अन्तर्गत उत्तराखण्ड में विशेषतः पौड़ी जनपद में कृषि भूमि उपयोग प्रारूप, भूमि के प्रकार, कृषि जोतों का आकार एवं कृषि भूमि उपयोग प्रारूप में आ रहे परिवर्तन आदि के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया तथा इस परिवर्तन का कृषकों पर पड़ रहे प्रभाव का अध्ययन किया गया। प्रस्तुत शोध कृषि विकास को सापेक्ष रूप से समझने एंव विकास में बाधक तत्वों को दूर करने हेतु नये सुझावों व उपायों के निर्माण में योगदान देगी व पर्वतीय कृषि के संदर्भ में विकास के नये आयामों को स्थापित करने में सहायक होगी। शोध अध्ययन द्वारा प्राप्त निष्कर्षों से कृषि, कृषि भूमि उपयोग, सिंचाई एवं कृषकों के लिये नियोजित नीतिगत ढांचा बनाने हेतु सहायता मिलेगी।
अनुरोध प्रभाकर. उत्तराखण्ड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि उपयोग प्रारूप परिवर्तन का विश्लेषणात्मक अध्ययनः पौड़ी गढ़वाल जिले के सन्दर्भ में. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 5, Issue 5, 2019, Pages 122-126