कोविड-19 के परिदृश्य में कोरोना काल में एवं कोरोना काल के पश्चात कक्षाओं का संचालन एक बहुत ही कठिन कार्य होगा | जिस तरह भारतीय शिक्षा पद्धति में शिक्षा के लिए तीन प्रकार के उद्देश्य परिभाषित किए गए हैं, उसी तरह कोविड-19 के परिदृश्य में हमें उन को मद्देनजर रखते हुए शिक्षण व्यवस्था के नए स्वरुप का विकास समुचित एवं समय के अनुरूप करना होगा तभी शिक्षण व्यवस्था का सही लाभ प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुंच पायेगा | शिक्षा के प्रथम उद्देश्य में व्यक्ति एवं चरित्र निर्माण को आत्मसात करते हुए ज्ञान के विकास को समाज कल्याण हेतु उपयोग में लाने हेतु कार्य किया जाना चाहिए | शिक्षा का दूसरा उद्देश्य अध्ययन के साथ साथ समाज का कल्याण भी है | शिक्षा के तीसरे उद्देश्य के तहत ज्ञान का विकास आता है | इसके लिए शिक्षकों का दायित्व बढ़ जाता है | इन सभी उद्देश्यों के उपरांत विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का मुख्य उद्देश्य हमेशा से ही रोजगार प्राप्ति रहा है | किंतु आज के परिदृश्य में शिक्षा प्राप्ति के पश्चात रोजगार की उपलब्धि न्यून होती जा रही है | कोविड-19 के पश्चात कई नए जॉब्स की संभावना पर विचार किया जाना आज की आवश्यकता है| अतः यदि विभिन्न उपायों को कार्यान्वित किया जाता है तो काफी हद तक छात्र छात्राओं को रोजगार मिलना आसान हो जायेगा | अतः कोरोना काल के पश्चात परंपरागत कक्षाओं के संचालन के साथ-साथ ऑनलाइन शिक्षा को सुधार के तौर पर किया जाना अत्यंत आवश्यक है जिससे विद्यार्थी अपने पैरों पर स्वयं खड़े हो सके तथा दूसरे जरूरतमंद छात्र- छात्राओं का मार्गदर्शन भी कर सकें |
विष्णु कुमार सक्सेना. कोविड १९ के उपरांत ऑनलाइन शैक्षणिक परिदृश्य. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 6, Issue 4, 2020, Pages 87-90