International Journal of Humanities and Social Science Research

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International Journal of Humanities and Social Science Research
International Journal of Humanities and Social Science Research
Vol. 6, Issue 5 (2020)

कल्हण कालीन कश्मीर की संस्कृति


पूनम कुमारी

कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी में कश्मीर की सभ्यता संस्कृति का उस काल के संदर्भ में जो विवरण दिया गया है उसका विश्लेषण प्राय अवैज्ञानिक ढंग से किया जाता रहा है। इसकी व्याख्या करने वाले इतिहासकार या अर्थशास्त्री आज भी शोध के उन्हीं औजारों, प्रवृतियों और सिद्धान्तों के आधार पर इसकी व्याख्या करते हैं जो कल्हण कालीन कश्मीर में वर्त्तमान थी। मगर आज शोध की नई-नई विधिओं का अविब्कार शोध के वैज्ञानिक तौर पर विकसित औजार ; शोध के नए तरीके और सिद्धान्त आज शोध की पुरानी प्रक्रिया को एक दम पीछे छाोड़ शोध के नए सिद्धान्तों और आधारों पर समस्या का विवेचन किए जाने पर ज्यादा विश्वसनीय निष्कर्ष सामने आते हैं ।
कल्हण कालीन कश्मीर की संस्कृति सभ्यता कला आदि का मूल्यांकन करने में मूल्यांकनकर्ता पारिणाम को ही कारण मान कर मूल्यांकन किए हैं। जैसे देव मंदिरों में फली - फूली संस्कृति ने जिन अनैतिक आचरणों को पैदा किया इसका कारण क्या था- इसकी व्याख्या न कर राजाओं और कुलीन वर्गो की यौन इच्छा को कारण मान लिया गया है, जबकि यह उस संस्कृति का परिणाम है - कारण की खोज किया जाना ज्यादा महत्वपूर्ण है ।
प्रस्तुत लेख इस तरह की लेरवन प्रवृति को अवैज्ञानिक मानता है और एक वैज्ञानिक शोध पदृति के आधार पर इसकी व्याख्या का प्रयास किया है। इस लेख को "आधार और संरचना" की वैज्ञानिक शोध पद्धति के आधार पर विश्लेषित किया गया है।
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How to cite this article:
पूनम कुमारी. कल्हण कालीन कश्मीर की संस्कृति. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 6, Issue 5, 2020, Pages 72-74
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