International Journal of Humanities and Social Science Research

International Journal of Humanities and Social Science Research


International Journal of Humanities and Social Science Research
International Journal of Humanities and Social Science Research
Vol. 6, Issue 5 (2020)

भारतीय संस्कृति एव साहित्य में वर्णित अपरिग्रह की वर्तमान में प्रसंगिकता


रेनू सिंह

वर्तमान समाज विषमताओं से परिपूर्ण है, विकास का माडल शोषणकारी है इसमें हर स्तर पर एक इकाई द्वारा दूसरी इकाई के शोषण प्रक्रिया को जन्म दिया है न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के अधिकांश देशों में भूख, बीमारी, गरीबी, बेरोजगारी विषमता का एक दुष्चक्र बन गया है। सम्पूर्णविश्व इस बेतुकी असमानता की ओर बढ़ता जा रहा है, घूशखोरी, भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध, काला धन आदि प्रवृत्ति की लगातार वृद्वि आम व्यक्ति की समस्या दुःख दर्द को और और बढ़ा दिया है। उपभोग वृद्वि को विकास का इंजन बताकर विंज्ञापन प्रेरित भोगवादी परिग्रह संचायन जीवन शैली को बढ़ावा दिया जा रहा है इसके अतिरक्त संसार में आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद, भोगवाद, अत्याचारकी प्रवृत्तियाॅ तेजी से बढ़ती जा रही हैं। अतः वर्तमान में समाज वैज्ञानिकों को वैचारिक दृष्टिकोण से इस समस्या का समाधान व उत्तर तलाशने की आवश्यकता है। वैश्विक स्तर पर बनते बिगड़ते राजनीतिक, आर्थिक ध्रुवीकरण विभिन्न देशों के साथ सीमा विवाद, जल विवाद, प्राकृतिक संसाधनों से उपजे विवाद कमजोर होती कानून व्यवस्था, अराजकता, अस्थिरता आदि अधिक चिन्ता का कारण ळें वैश्विक परिदृश्य के साथ-साथ हमे भारत के परिदृश्य को भी भलीभाॅति समझना व परखना होगा।
Download  |  Pages : 75-77
How to cite this article:
रेनू सिंह. भारतीय संस्कृति एव साहित्य में वर्णित अपरिग्रह की वर्तमान में प्रसंगिकता. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 6, Issue 5, 2020, Pages 75-77
International Journal of Humanities and Social Science Research International Journal of Humanities and Social Science Research