स्वतंत्रता के पश्चात संविधान निर्माताओं ने भारत को संघीय ढ़ाचे के अन्र्तगत लोकतन्त्रीय शासन व्यवस्था प्रदान की । पूर्व कालिक सामन्तीय, राजतन्त्रीय और विदेशी दासता से अम्युदय हुआ। जन-2 को स्वतन्त्रता का अहसास कराने की दृष्टि से यह उद्देश्य एक निश्चित रूप से सराहनीय है। एक सम्प्रभु राष्ट्र के स्वतन्त्र नागरिकों के रूप में जीने का अधिकार राष्ट्र के सभी नागरिकों को समान रूप से मिला। और इस क्रम में भाषा क्षेत्र धर्म तथा कोई लिंग भेद नहीं रखा गया। जिस अहिंसक आन्दोलन के कारण राष्ट्र को स्वतन्त्रता मिली थी उसी तरीके से सत्ता परिवर्तन का अधिकार भी जनता को मतदान के रूप में समानता से दिया गया, के बारे में अध्ययन प्रस्तुत है।
मिथलेश केन. भारतीय नागरिकों की राजनैतिक सामाजिक जागरूकता. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 6, Issue 5, 2020, Pages 102-104