International Journal of Humanities and Social Science Research

International Journal of Humanities and Social Science Research


International Journal of Humanities and Social Science Research
International Journal of Humanities and Social Science Research
Vol. 6, Issue 6 (2020)

सुखवाद और उपयोगितावाद


डॉ. अनन्त कुमार यादव

सामान्यतः मनुष्य जब कोई कर्म करता है तो यह माना जाता है कि इस कर्म करने के मूल में सुख प्राप्त करने की इच्छा ही प्रमुख प्रेरक तत्व है। किंतु जब एक ही समय में विभिन्न सुखों के बीच चुनाव का प्रश्न उठता है तो इस चुनाव हेतु कुछ मानक की आवश्यकता होती है जिसके परिणाम स्वरूप सुखों के बीच गुणात्मक एवं परिमाणात्मक भेद दृष्टिगत होने लगता है। इसी प्रकार बहुत सारे ऐसे कर्म हैं जो सुख की प्रेरणा से नहीं बल्कि कर्तव्य की प्रेरणा से संपादित किये जाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप सुखवाद की सीमा निर्धारित हो जाती है। इस वैचारिक यात्रा में सुखवाद, उपयोगितावाद में और उपयोगितावाद, परिष्कृत उपयोगितावाद में रूपान्तरित हो जाता है। यह और बात है कि परीष्कृत उपयोगितावाद की अपनी भी सीमा है।
Download  |  Pages : 180-182
How to cite this article:
डॉ. अनन्त कुमार यादव. सुखवाद और उपयोगितावाद. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 6, Issue 6, 2020, Pages 180-182
International Journal of Humanities and Social Science Research International Journal of Humanities and Social Science Research