महान शिक्षाविद्, राष्ट्रपति एवम भारतरत्न डाॅ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की दार्शनिक विचारधारा
विभा भारद्वाज
वर्तमान शोध पत्र में महान शिक्षाविद् डाॅ0 सर्वपल्ली राधाकृश्णन की दार्शनिक विचारधारा का विष्लेशण किया गया है। इसके साथ ही साथ उन्होंने भारत के राश्ट्रपति का कार्यकाल भी बहुत अच्छी तरह से निभाया जिसके लिए उन्हें भारत के सर्वोत्तम पदक भारत रत्न प्रदान किया गया। डाॅ0 सर्वपल्ली राधाकृश्णन के दार्शनिक विचारों का अध्ययन करने े बाद हम सहज ही कह सकते हैं कि डाॅ0 राधाकृश्णन एक महान व्याख्याकार थे। उनके दर्षन का अपना एक दृश्टिकोण अवष्य है। तथापि उनका दार्शनिक धरातल वेदान्तीय विचारों से अनुप्राणित है। डाॅ0 राधाकृश्णन के द्वारा प्रतिपादित दर्षन की सबसे महत्वपूर्ण विषेशता यही रही है कि हम उनमें प्राचीनतम दार्शनिक धारणाओं से लेकर आधुनिकतम भारतीय एवं पाष्चात्य दार्शनिक विचारों का विवेचन पाते हैं तथा साथ ही उनका समन्वय भी पाते हैं। उनके अनुसार भारतीय दर्षन उच्च बौधिक स्तर पर विषाल एवं सम्पूर्ण रूप से स्पश्ट होता है जिसके अध्ययन से हमारे विचार न केवल प्रकाषान्वित होते हैं बल्कि उनके अध्ययन के पष्चात हम वहाँ नहीे रहते जहाँ पहले थे।
विभा भारद्वाज. महान शिक्षाविद्, राष्ट्रपति एवम भारतरत्न डाॅ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन की दार्शनिक विचारधारा. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 8, Issue 1, 2022, Pages 124-128