वर्तमान समय में भारतीय शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर लगातार विमर्श हो रहा है। कई दस्तावेजों एवं आकड़ों में भी शिक्षायी गुणवत्ता के खराब परिणाम हमारे नीति-निर्माताओं तथा शिक्षा-व्यवस्था से जुड़े लोगों को परेशान करते है। शिक्षा में गुणवत्ता का मसला नया नहीं है बल्कि आजादी के बाद से ही हमारे नीति-निर्माताओं ने शिक्षा में गुणवत्ता को लेकर चिंता व्यक्त की तथा अनेक नीतियों में गुणवत्ता के स्तर को बढ़ाने हेतु व्यापक प्रयास करने पर बल दिया गया। अनेक प्रयासों के बावजूद भी भारतीय शिक्षा व्यवस्था न सिर्फ गुणात्मक बल्कि मात्रात्मक रूप से भी काफी पिछड़ी हुई है। आज भी शासकीय विद्यालयों में मूलभूत शैक्षिक सुविधाओं का अभाव देश के बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्द्ध कराने में एक प्रमुख बाधा के रूप में हमारे समक्ष उपस्थिति है। शिक्षा में गुणवत्ता का मसला संख्यात्मक रूप में सुधार से भी काफी गहरे रूप में जुड़ा हुआ है, क्योंकि बिना मात्रात्मक सुधार के गुणात्मक सुधार की दिशा में आगे बढ़ पाना काफी मुश्किल है, इसलिए शिक्षा में गुणात्मक उन्नयन हेतु संख्यात्मक सुधार बहुत ही आवश्यक है। प्रस्तुत शोध आलेख प्रारम्भिक शिक्षा में गुणात्मक उन्नयन हेतु मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता और उनके अंतर्संबंधों को समझने का प्रयास है।
धनन्जय सिंह यादव. शैक्षिक उन्नयन और बुनियादी सुविधाएँः अंतर्संबंध. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 8, Issue 2, 2022, Pages 96-99