स्वाधीनता संग्राम में मालवा निमाड़ क्षेत्र के जनजातीय नायकों का योगदान
दिनेश महाजन
वर्तमान में हम शुद्ध हवा में जो सांस ले रहे हैं, आजादी के वीर नायकों के बलिदान के परिणाम स्वरूप हो पाया है। भारत देश हर नागरिक के राष्ट्रीय प्रेम, समर्पण भाव और स्वाभिमान का परिचायक रहा है। इस देश के स्वतंत्रता आंदोलन में जनजाति नायकों का महत्वपूर्ण योगदान एवं गौरवशाली इतिहास रहा है। मालवा निमाड़ की संस्कृति और स्वायत्तता के लिए जितना योगदान बलिदान और संघर्ष जनजातियों का है वैसा उदाहरण विष्व में अन्यत्र कहीं नहीं है। स्वाधीनता के अंकुर का प्रस्फुटन स्वतंत्र प्रिय रहने वाली जनजातियों के बीच ही अंकुरित हुआ है। मालवा-निमाड़ क्षेत्र वनों, पर्वत, पठारो से घिरा हुआ है जिसमें रहने वाली जनजातियां परिस्थिति के साथ संघर्षमय रहते हुए अपनी माटी के लिए भी निरंकुश और सत्ताधारी अंग्रेजों के विरुद्ध स्वाधीनता संघर्ष में निरंतर अपना लोहा मनवाती रही है। इसी स्वाधीनता संग्राम की चिंगारी जब मध्य भारत पहुंची तो मालवा-निमाड़ के जनजाति नायकों ने अपना मोर्चा थामा जिसमें प्रमुख रुप से टंट्या भील, भीमा नायक, खाज्या नायक, सीताराम कंवर, रघुनाथ सिंह मंडलोई, सआदत खां एवं भगीरथ सिलावट आदि ने संघर्ष का गौरवपूर्ण इतिहास रचा।
दिनेश महाजन. स्वाधीनता संग्राम में मालवा निमाड़ क्षेत्र के जनजातीय नायकों का योगदान. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 8, Issue 4, 2022, Pages 131-132