International Journal of Humanities and Social Science Research

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International Journal of Humanities and Social Science Research
International Journal of Humanities and Social Science Research
Vol. 9, Issue 1 (2023)

हरिद्वार जनपद में अनुसूचित जाति में आर्थिक विकास


सतीश कुमार

आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे देश की राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। राष्ट्रीय आय में होने वाली प्रत्येक वृद्धि को विकास की प्रक्रिया माना जाना चाहिए। यदि राष्ट्रीय उपज बढ़ रही है तो इसका यह अभिप्राय है कि अर्थव्यवस्था प्रगति कर रही है। इसका परिणाम प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने का होगा अथवा नहीं, यह इस बात पर निर्भर है कि जनसंख्या वृद्धि की दर आर्थिक विकास की दर से कम है अथवा अधिक। इस प्रकार आर्थिक विकास का प्रारम्भिक प्रतीक राष्ट्रीय आय का बढ़ना है। विकास केवल आर्थिक वृद्धि ही नहीं बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक, संस्थागत तथा आर्थिक परिवर्तनों का कुल योग है। वह एक बहुमुखी प्रक्रिया है; जिसके अन्तर्गत केवल मौद्रिक आय ही नहीं बढ़ती बल्कि वास्तविक आदतों, शिक्षा और जनस्वास्थ्य में परिवर्तन तथा लोगों को आर्थिक अवकाश भी मिलता है। वास्तव में, सुखी जीवन को निर्धारित करने वाली समस्त सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों में सुधार होना चाहिए। आजादी के बाद भारत सरकार ने जो औद्योगिक नीति बनायी उसका लक्ष्य तेज औद्योगीकरण के द्वारा देश का आर्थिक विकास करना है। आर्थिक विकास से देश की प्रत्येक जाति का विकास हुआ है। सम्पूर्ण भारतीय समाज की सामाजिक संरचना में परिवर्तन आये हैं। अनुसूचित जातियों के लोगों ने न केवल अनेक व्यवसायों को अपनाया वरन् अपना आर्थिक विकास भी किया है।
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सतीश कुमार. हरिद्वार जनपद में अनुसूचित जाति में आर्थिक विकास. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 9, Issue 1, 2023, Pages 16-18
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