युवाओं का लिव-इन रिलेशनशिप के प्रति बढ़ता हुआ रुझान एवं इसके सामाजिक परिणामः एक समाजशास्त्रीय अध्ययन
डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी
विश्व भर के समाजों में एक नया चलन तेजी से उभर रहा है। जहां विपरीत लिंग के दो वयस्क विवाह की संस्था को पूरी तरह से छोड़ कर स्वैच्छिक सहवास (लिव-इन रिलेशनशिप) का फैसला करते हैं, जो लगभग शादी जैसा दिखता है। भारत में लिव-इन रिलेशनशिप के मुद्दे के संबंध में कोई विशिष्ट कानून नहीं है। भारत में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले युगलों के लिए विशेषाधिकारों और जिम्मेदारियों को निर्धारित करने एवं इन लोगों से जन्में बच्चों की स्थिति के लिए कोई अभी तक कोई कानूनी संस्था नहीं है। इसके अलावा, भारत एक सख्त परंपरावादी राष्ट्र के रूप में माना जाता है एवं यहां का समाज तुलनात्मक रूप से एक रूढ़िवादी मानसिकता देखा जा सकता है। इतनी भ्रामक स्थिति में होने के बावजूद लिव-इन रिलेशनशिप महानगरों में रहने वाले कई जोड़ों की पसंद है। समाज और व्यक्ति के दृष्टिकोण के बीच यह निरंतर संघर्ष अब लगभग एक दशक से चल रहा है। प्रस्तुत पेपर ऐसे संबंधों का समाज पर पढ़ने वाले उनके प्रभावों से संबंधित है।
डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी. युवाओं का लिव-इन रिलेशनशिप के प्रति बढ़ता हुआ रुझान एवं इसके सामाजिक परिणामः एक समाजशास्त्रीय अध्ययन. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 9, Issue 1, 2023, Pages 49-51