अहोम साम्राज्य की सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था का विश्लेषण
मनोहर दान
भारत में अनेक राजवंशो का शासन रहा। केंद्रीय स्तर के साथ साथ भारत के क्षेत्रीय स्तर पर भी विशिष्ट राजवंश रहे है। इतिहास के अध्ययन के केंद्रीय दृष्टिकोण के कारण प्राचीन भारत में पाटलिपुत्र आधारित साम्राज्यों और मध्यकालीन भारत में दिल्ली आधारित साम्राज्यों का मुख्य अध्ययन किया गया। भारतीय इतिहास में क्षेत्रीय साम्राज्यों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है, उनके अध्ययन के बिना भारत के इतिहास की पूर्ण व्याख्या नहीं हो पाती है। मध्यकालीन भारतीय इतिहास में पूर्वोत्तर भारत में अहोम साम्राज्य के उदय और सुदृढ़ीकरण का अध्ययन, तत्कालीन भारत की सामाजिक स्थिति, सांस्कृतिक गौरव, आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था की नवीन जानकारी प्रदान करता है। अहोम राज्य के निर्माण में बोरफुकन प्रणाली,पाइक बेगारी प्रथा, गुरिल्ला युद्ध नीति, नम चावल उगाने की पद्धति, नए स्थलों की स्थापना और जनसंख्या का स्थानांतरण महत्वपूर्ण कारक रहे थे। 18वीं सदी के अंतिम दशकों और 19वीं सदी के आरंभिक दशकों में अहोम राज्य में आंतरिक अशांति उत्पन्न होने लगी साथ ही स्थानीय आदिवासी समुदाय का विरोध होने लगा और बर्मा के लगातार आक्रमण के कारण अहोम राज्य का अवसान होने लगा।
मनोहर दान. अहोम साम्राज्य की सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था का विश्लेषण. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 9, Issue 2, 2023, Pages 25-27