International Journal of Humanities and Social Science Research

International Journal of Humanities and Social Science Research


International Journal of Humanities and Social Science Research
International Journal of Humanities and Social Science Research
Vol. 5, Issue 2 (2019)

भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में कृषि-पर्यटन की भूमिका


प्रमोद कुमार सिंह, के0 एस0 नेताम

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और पर्यटन सम्मिलित रूप से दोनों ऐसे क्षेत्र हैं जिनसे सबसे अधिक रोजगार प्राप्त होता है। इस संदर्भ में जैविक खेती और उससे जुड़े उत्पाद अधिक कारगर है। भारत की 70 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है जो कृषि पर निर्भर है। भारत में 9 करोड़ से अधिक किसान यहाँ के 6 लाख गांवों में निवास करते हैं जो प्रति वर्ष 27 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन करते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ बागवनी उत्पाद, फल-फूल, डेयरी उत्पाद, पशुधन उत्पाद तथा पोल्ट्री व मछली इत्यादि उत्पाद प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से उत्पादित किया जाता है। उक्त तथ्यों से स्पष्ट होता है कि भारत का ’एग्रीकल्चर’ ही यहाँ का ’कल्चर’ है। कृषि-पर्यटन किसानों और गांव के लोगों के अतिरिक्त आय के साधन के रूप में विकसित हुआ है। कम उपज प्राप्त होने की स्थिति में कृषि-पर्यटन द्वारा जहाँ किसानों के आमदनी के स्रोत बढ़ते हैं वहीं पर्यटन की इस क्रिया से किसान अत्मनिर्भर भी होते हैं। भारत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की रूचि यहाँ के गांवों का जीवन और कृषि पर निर्भर लोगों को जानने व समझने में अधिक है। प्रस्तुत शोध आलेख में भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि क्षेत्र में कृषि-पर्यटन की संभावनाओं की सामयिक समीक्षा की गयी है।
Download  |  Pages : 79-81
How to cite this article:
प्रमोद कुमार सिंह, के0 एस0 नेताम. भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में कृषि-पर्यटन की भूमिका. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 5, Issue 2, 2019, Pages 79-81
International Journal of Humanities and Social Science Research International Journal of Humanities and Social Science Research