International Journal of Humanities and Social Science Research

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International Journal of Humanities and Social Science Research
International Journal of Humanities and Social Science Research
Vol. 5, Issue 3 (2019)

स्वास्थ्य जागरूकता बौद्ध धर्म के परिपेक्ष्य में : एक अवलोकन


अंजू लता श्रीवास्तव

किसी देश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, व सामाजिक परम्परा एक क्रमिक विकास का परिणाम होती है, जो कि निरंतर चलती रहती है परन्तु यह क्रमिक विकास कभी-कभी ऐसे युग का सूत्रपात कर देता हैं जिसका प्रभाव व्यापक व दूरगामी होता है। ई०पू० पांचवी शताब्दी में अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए जिसका मानव जीवन के विविध पक्षों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। भारतीय इतिहास के सम्यक विवेचन से छठी शताब्दी ई०पू० एक ऐसे युग का सूत्रपात करती है, जिसका प्रभाव सदियों से लेकर वर्तमान तक प्रभावी है। इस समय भारत भूमि में एक ऐसे महान विभूति का आविर्भाव होता है, जिसने अपने मानवतावादी सरल एवं सहज ग्राह्य संदेशो के द्धारा प्राणियों मे नवीन चेतना एवं गतिशीलता का संचार किया साथ ही तत्कालीन आधार भूत ढाँचे को विकास की एक नई दिशा भी प्रदान की। नैतिक मूल्यों एवं उत्कृष्ट सिद्वांन्तो से समान्वित "बौद्ध धर्म" को गेोतम बुद्ध के द्वारा प्रतिपादित व प्रसारित किया गया। बुद्ध ने विचार¨ एक नये धर्म की स्थापना करके समस्त विश्व को मानवता, परम सत्य, नये ज्ञान और विनय से परिचित कराया अ©र यह नई विचारधारा ही बौद्ध धर्म से जानी गई बुद्ध का युग अनेक क्रांतिकारी परिवर्तनों का साक्षी था इस समय सभी क्षेत्रो में विविध नूतन आयाम प्रस्तुत हुए जिहोने समाज को एक नई दिशा प्रदान की। भारत में प्राचीन काल से ही विभिन्न धर्मो द्वारा मानवीय जिज्ञासा एवं अनुभव के द्वारा मानवीय जीवन की विभिन्न समस्याओ के समाधान का प्रयास किया गया। इसी प्रक्रिया में ज्ञान विज्ञान की विभिन्न शाखाओ के साथ ही चिकित्सा विज्ञान का विकास हुआ, जिसने मानव जीवन को प्रभावित किया।
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अंजू लता श्रीवास्तव. स्वास्थ्य जागरूकता बौद्ध धर्म के परिपेक्ष्य में : एक अवलोकन. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 5, Issue 3, 2019, Pages 153-157
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