जनजातीय महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य स्थिति, विशेष संदर्भः नांदेड़ जिला, महाराष्ट्र
ए एन कर्डीले
जनजातीय समुदाय सभी क्षेत्रों में आम आबादी से पिछड़ा हुआ हैं। जनजातीय क्षेत्र में होनेवाले शिशु मृत्यु, मातृ मृत्यु और कुपोषण का अनुपात अन्य सभी समुदायों से ज्यादा हैं। इसलिए जनजातीय महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य स्थिती को समझाना जरुरी हंै, जिसमें प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य महत्वपूर्ण हैं। प्रस्तुत अध्ययन में वर्णनात्मक शोध प्रारूप का प्रयोग करके जनजातीय महिलाओं की प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य स्थिति और सेवाओं का विष्लेशण किया हैं। इसमें नांदेड जिले के 5 तहसील में सें 20 गाँवो की 400 उत्तरदाताओं का चयन दैव निदर्शन पद्धति से किया हैं, जिसके लिए लाॅटरी प्रविधि का प्रयोग किया हैं। प्रस्तुत अनुसंधान में जनजातीय महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य से संबंधित तथ्य को संकलित करने के लिए साक्षात्कार अनुसूची और निरीक्षण तंत्र का प्रयोग किया हैं। प्रस्तुत अध्ययन में जनजातीय महिलाओं द्वारा गर्भावस्था पंजीकरण करने का अनुपात 99.25 प्रतिशत हैं, जो प्रथम तिमाही में 96.00 प्रतिशत हुआ हैं। मातृ एवं बाल संरक्षण कार्ड प्राप्त होनेवाले उत्तरदाताओं का अनुपात 95.75 प्रतिशत हैं। जनजातीय महिलाओं को प्रसवपूर्व जाँच ए.एन.एम., एल.एच.वी. और नर्स जैसे स्वास्थ्यकर्मी के द्वारा प्राप्त होने हुई हैं, जिसका अनुपात 78 प्रतिशत हैं। जनजातीय महिलाओं को प्रसवपूर्व देखभाल में वजन, रक्तचाप, मूत्र परीक्षण, खून परीक्षण और उदरीय परीक्षण कम से कम एक बार मिलने का अनुपात 91 प्रतिशत से आधिक हैं, जो सुरक्षित मातृत्व हेतू महत्वपूर्ण हैं। जनजातीय महिलाओं को गर्भावस्था की आखिरी तिमाही में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा परामर्श मिलने का अनुपात 96.50 प्रतिशत हैं। जनजातीय महिलाओं में संस्थागत प्रसव का अनुपात 95 प्रतिशत हैं। जनजातीय महिलाओं के 40.50 प्रतिशत प्रसव ए.एन.एम., एल.एच.वी. और नर्स के निगरानी में तो 36 प्रतिशत प्रसव चिकित्सक की निगरानी में हुऐ हैं। जनजातीय महिलाओं को प्रसव के बाद 48 घंटे के भीतर प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी से प्रसवोत्तर देखभाल मिलने का अनुपात 92.25 प्रतिशत हैं। प्रस्तुत अनुसंधान के लिए भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिशद (आई. सी. एस. एस. आर.), नई दिल्ली के द्वारा आर्थिक सहाय्यता प्राप्त हुई हैं।
ए एन कर्डीले. जनजातीय महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य स्थिति, विशेष संदर्भः नांदेड़ जिला, महाराष्ट्र. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 7, Issue 6, 2021, Pages 127-133