कारागार से तात्पर्य राज्य द्वारा संचालित ऐसी संस्था से है जहाँ ऐसे व्यक्तियों को रखा जाता है जिनपर अपराध का दोष साबित हो गया है या उनपर न्यायालय में आपराधिक मुकदमा चल रहा है । वर्तमान में भी भारत में कारागार का संचालन मुख्यतः 1894 के कारागार अधिनियम से ही संचालित हो रहा है जो ब्रिटिश काल की देन है । आज भी हम यदि गंभीरता से देखे तो कैदियों की स्थिति और कारागार व्यवस्था में आशा के अनुरूप बदलाव नहीं हुआ है । क्षमता से अधिक कैदी, कारागारों की जर्जर संरचना, कैदियों का दमन, कारागार कर्मियों की संख्या में कमी आदि समस्याएं आज भी बनी हुई है । इसी के सम्बन्ध में कैदियों द्वारा दाखिल वादों और कई बार जनहित याचिकाओं के सन्दर्भ में संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने मानवतावादी और आधुनिक दृष्टिकोण अपनाते हुए महत्वपूर्ण निर्णय दिए है ।
Vivek Kumar Rai, Amit Verma. कारागार सुधार के न्यायिक प्रयास. International Journal of Humanities and Social Science Research, Volume 8, Issue 4, 2022, Pages 59-61